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रविवार, 20 जून 2021

श्री भैरव चालीसा | रविवार स्पेशल श्री भैरव चालीसा | shri bhairav chalisa | sunday special shri bhairav chalisa

श्री भैरव चालीसा | रविवार स्पेशल श्री भैरव चालीसा | shri bhairav chalisa | sunday special shri bhairav chalisa | bhajanprasaadam

              

               ।। दोहा ।।
"श्री गणपति गुरु गौरीपद,  प्रेम सहित धरी माथ ।
चालीसा वंदन करौ , श्री शिव भैरवनाथ ।।

श्री भैरव संकट हरण , मंगल करण कृपाल 
श्याम वरन विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ।"

      ।। चौपाई 
जय जय श्री काली के लाला 
जयति जयति काशी कुतवाला  

जयति बटुक भैरव भयहारी 
जयति काल भैरव बलकारी । 

जयति नाथ भैरव विख्याता 
जयति सर्व भैरव सुखदाता 

भैरव रूप कियो शिव धारण 
भव के पार उतारन कारण । 

भैरव रव सुनी हो भई दूरी 
सब विधि होय कामना पूरी 

शेष महेश आदि गुण गायो 
काशी के कोतवाल कहलायो । 

जटाजुट शिर चंद्र विराजत 
बाला मुकुट बिजायथ साजत 

कटी करधनी घुंघरू बाजत 
धर्षण करत सकल भय भाजत । 

जीवन दान दास को दीन्हो 
कीन्हो कृपा नाथ तब चिन्हो 

बसी रसना बनी सारद काली 
दीन्हो वर राख्यो मम लाली । 

धन्य धन्य भैरव भय भंजन 
जय मनरंजन खल दल भंजन 

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा 
कृपा कटाक्ष सुयश नहीं थोड़ा । 

जो भैरव निर्भय गुन गावत 
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल पावत । 

रूप विशाल कठिन दुःख मोचन 
क्रोध कराल लाल दुहुँ लोचन । 

अगणित भूत प्रेत संग डोलत 
बं  बं  बं  शिव बं  बं बोलत 

रुद्रकाय काली के लाला 
महाकालहुं के हो लाला । 

बटुक नाथ हो काल गंभीरा  
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा 

करत तिन्हुं रूप प्रकाशा 
भक्त सुभक्तन कहं सुभ आशा । 

रत्न जड़ित कंचन सिंहासन 
व्याग्र चर्म शुची नर्म सुआनन 

तुम्ही जाई काशी जन ध्यावहि  
विश्वनाथ कहं दर्शन पावही । 

जय प्रभु संहारक सुनंद जय 
जय उनन्त हर उमानंद जय 

भीम त्रिलोचन स्वान नाथ जय 
बैजनाथ श्री जगतनाथ जय । 

महाभीम भीषण शरीर जय 
रूद्र त्रयम्बक धीर वीर जय 

अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय 
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय । 

निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय 
गहत अनाथन नाथ हाथ जय 

त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय 
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय । 

श्री वामन नकुलेश चंड जय 
क्रत्याऊ कीरति प्रचंड जय 

रूद्र बटुक क्रोधेश काल धर 
चक्र तुंड दश पानिव्याल धर । 

करी मद पान शम्भू गुणगावत 
चौंसठ योगिनी संग नचावत 

करत कृपा जन पर बहु ढंगा 
काशी कोतवाल अड़बंगा । 

देय काल भैरव जब सोटा 
नसै पाप मोटा से मोटा 

जनकर निर्मल होय शरीरा 
मिटे सकल संकट भव पीरा । 

श्री भैरव भूतो के राजा 
बाधा हरत करत सुभ काजा 

ऐलादी के दुःख निवारयो 
सदा कृपा करी काज सम्भारयो । 

सुन्दर दास सहित अनुरागा । 
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा 

श्री भैरवजी की जय लेख्यो 
सकल कामना पूरण देख्यो । 

                        ।। दोहा 
"जय जय जय भैरव बटुक , स्वामी संकट टार 
कृपा दास पर कीजिये , शंकर के अवतार 

जो यह चालीसा पढ़े , प्रेम सहित सत  वार  
उस घर  सर्वानंद हो , वैभव बड़े अपार ।"

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