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गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

करार विन्दे न पदार विन्दम लिरिक्स : karar vinde n padar vindam govind damodar lyrics

करार विन्दे न पदार विन्दम गोविन्द दामोदर लिरिक्स karar vinde n padar vindam govind damodar lyrics bhajanprasaadam




कृष्ण के स्तुति जिनको प्रातः काल गाने से मन में शांति का अनुभव होता है|

      
 :: करार विन्दे लिरिक्स ::


करार विन्देन पदार विन्दं , मुख़ार विन्दे विनये शयन्तम 
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि -२ 

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव:
जिह्वे पिबस्वामृतमेत देव:, गोविन्द दामोदर माधवेति-२ 

विक्रेतु कामाखिल गोप कन्या, मुरारी पदार्पित चित्त: वृत्ति:
दध्यादिकं मोहवशाद वोचाद, गोविन्द दामोदर माधवेति-२ 

गृहे गृहे गोप वधु कदम्बा:, सर्वे मिलित्व सम वाप्य योगं 
पुण्यानी नामानि पठन्ति नित्यम, गोविन्द दामोदर माधवेति-२

सुखम श्यानम निलये निजेपि, नमाणि विष्णोः प्रवदन्ति मतर्य   
ते निश्चितं  तन्मयतां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति -२ 

जिह्वे सदैवम भज सुंदरानी, नमानी कृष्णस्य मनोहरानी 
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति-२

सुखावसाने इदमेव सारम, देखावसाने इदमेव ज्ञेयम 
देह: वसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति -२ 

श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णु:
जिह्वे पिबस्वामृतमेत देव:, गोविन्द दामोदर माधवेति-२ 

जिह्वे रसज्ञे मधुर प्रियत्वम, सत्यम हितं त्वां परमं वदामि 
आवरणायथा मधुरक्शराणी, गोविन्द दामोदर माधवेति-२ 

त्वमेव याचे मम देहि जिह्वे, समगते दंड धरे कृतान्ते 
वक्तव्य मेवं मधुरं सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति-२ 




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