क्या तन मांझता रे लिरिक्स : kya tan manjhata re lyrics : bhajanprasaadam
क्या तन मांझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना
पवन चले उड़ जाना रे पगले, समय चूक पछताना,
क्या तन मांझता ...........
चार जना मिल गढ़ी बनाई, चढ़ा काठ की डोली
चारो तरफ से आग लगा दी, फूँक दिए जैसे होली
क्या तन मांझता ...........
हाड जले जैसे बन के लकड़िया, केस जले जैसे घांसा
कंचन जैसे काया जल गई, कोई न आए पासा
क्या तन मांझता ...........
तीन दिंना तेरी तिरिया रोये , तरह दिना तेरा भाई
जनम जनम तेरी माता रोवे, कोई न आवे पासा
क्या तन मांझता ...........
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bhajanprasaadam