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शनिवार, 8 मई 2021

मंगलवार स्पेशल हनुमान चालीसा mangalvar special hanuman chalisa

 मंगलवार स्पेशल हनुमान चालीसा  mangalvar special hanuman chalisa : bhajanprasaadam

                                                          ::दोहा::
"श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मनु मुकरु सुधारि 
बरनऊँ रघुबर विमल जसु, जो दायक फल चारि" । 

"बिद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरों पवन कुमार 
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार" 

       :: हनुमान चालीसा ::

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहु लोक उजागर  

रामदूत अतुलित बल धामा 
अंजनी पुत्र पवनसुत नामा 

महावीर विक्रम बजरंगी 
कुमति निवारि सुमति के संगी  

कंचन बरन बिराज सुबेसा 
कानन कुण्डल कुंचित केसा 

हाथ बज्र ओ ध्वजा विराजे  
कंधे मुंज जनेउ साजै  

संकर सुवन केशरी नंदन 
तेज प्रताप महा जगनंदन 

विद्यावान गुनी अति चातुर 
राम काज करिबे को आतुर 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया 
राम लखन सीता मन बसिया 

सूक्ष्म रूप धरि सिंह ही दिखावा  
विकत रूप धरी लंक जरावा 

भीम रूप धरी असुर संहारे 
राम चंद्र के काज संवारे 

लाय संजीवन लखन जियाये  
श्री रघुवीर हरषि उर लाये 

रघुपति किन्ही बहुत बढ़ाई 
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई 

सहस बदन तुम्हरो जस गावे 
अस कही श्रीपति कंठ लगावे 

सनकादिक ब्रम्हादि  मुनीसा 
नारद शारद सहित अहीसा 

यम कुबेर दिगपाल जँहा ते  
कवि कोविद कहीं सके कँहा ते  

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा 
राम मिलाय राजपद दीन्हा 

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना  
लंकेश्वर भये सब जग जाना 

जुग सहस्त्र योजन पर भानू  
लील्यो ताहि मधुर फल जानू 

प्रभु मुद्रिका मिली मुख माहि  
जलधि लांघी गए अचरज नाहीं 

दुर्गम काज जगत के जेते  
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते 

राम दुआरो तुम रखवारो  
होत न आज्ञा बिनु पैसारे 

सब सुख लहै तुम्हारी सरना  
तुम रक्षक काहू को डरना 

आपन तेज सम्हारो आपै 
तीनो लोक हाँक ते काँपे 

भूत पिशाच निकट नहीं आवे  
माहवीर जब नाम सुनावै 

नासै रोग हरे सब पीरा 
जपत निरंतर हनुमंत वीरा 

संकट ते हनुमान छुड़ावे 
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै  

सब पर राम तपस्वी राजा 
तिनके काज सकल तुम साजा । 

और मनोरथ जो कोई लावे 
सोई अमित जीवन फल पावै 

चारो जग प्रताप तुम्हरो । 
है परसिद्ध जगत उजियारो 

साधु संत के तुम रखवारो । 
असुर निकंदन राम दुलारे  

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता । 
अस वर दीन जानकी माता 

राम रसायन तुम्हरे पासा । 
सदा रहो रघुपति के दासा 

तुम्हरे भजन राम को पावे । 
जनम जनम के दुःख बिसरावे 

अंत काल रघुवर पुर जाई । 
जँहा जन्म हरि भक्त कहाई 

और देवता चित न धरई । 
हनुमंत सेई सर्व सुख करई  

संकट कटे मिटे सब पीरा । 
जो सुमिरै हनुमत बलवीरा  

जय जय जय हनुमान गोसाई । 
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं  

जो शत बार पाठ कर कोई । 
छूटहिं बंदि महा सुख होई 

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा । 
होय सिद्धि साखी गौरीसा 

तुलसीदास सदा हरि चेरा । 
कीजै नाथ हिरदय मंहे डेरा 

: दोहा :
"पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप। 
राम लखन सीता सहित, हिर्दय बसहु सुर भूप" । 
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