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रविवार, 9 मई 2021

मत कर जीवड़ा नींद हरामी चेतावनी कबीर भजन लिरिक्स mat kar jivada nind harami chetavani kabir bhajan lyrics

मत कर जीवड़ा नींद हरामी चेतावनी कबीर भजन लिरिक्स mat kar jivada nind harami chetavani kabir bhajan lyrics :  bhajanprasaadam

मत कर जीवड़ा नींद हरामी, नींद आलसी 
थोड़ा जीवणा रे खातिर कई सोवे 
कई सोवे रे .............. कई सोवे रे ........... थोड़ा जीवणा रे खातिर कई सोवे 
 मत कर जीवड़ा नींद हरामी, नींद आलसी 

थारा रे घट में,  होद भरिया है ............ होद भरिया है 
डोला पानी में मुखड़ा मत धोवे 
क्यों धोवे रे .......... क्यों धोवे रे.......... डोला पानी में मुखड़ा मत धोवे 
मत कर जीवड़ा नींद हरामी............... 

थारा रे घट में,  हिरा खान है ........हिरा खान है 
कंकड़ पत्थर मत रोले 
कई रोले रे ........ कई रोले ले ...... कंकड़ पत्थर मत रोले 
मत कर जीवड़ा नींद हरामी............... 

थारा रे घट में,  घोर अँधेरा ............ घोर अँधेरा 
पर घर दिवला मत जोवे 
क्यों जोवे रे ......  क्यों जोवे रे ....... पर घर दिवला  मत जोवे 
मत कर जीवड़ा नींद हरामी............... 

थारा रे घट में म्बा आम्बली ............ आम्बा आम्बली  
बीज बावलियां मत बोवे 
क्यों बोवे रे ........ क्यों बोवे रे .......बीज बावलियां मत बोवे 
मत कर जीवड़ा नींद हरामी............... 

कहे कबीर सा सुनो भाई साधो .......  सुनो भाई साधो 
साहिब का घर क्यों छोड़े 
क्यों छोड़े रे....... क्यों छोड़े रे ......साहिब का घर क्यों छोड़े 
मत कर जीवड़ा नींद हरामी............... 
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bhajanprasaadam





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