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गुरुवार, 20 मई 2021

शनि चालीसा लिरिक्स शनिवार स्पेशल shani chalisa lyrics shanivar special

शनि चालीसा लिरिक्स शनिवार स्पेशल shani chalisa lyrics shanivar special bhajanprasaadam

       
          
           शनि चालीसा हिंदी लिरिक्स 
                      ।। दोहा ।।
"जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल  
दीनन के दुःख दूर करि, कीजे नाथ निहाल" 

"जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज 
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज" । 

              :: चालीसा ::
जयतिजयति शनिदेव दयाला 
करत सदा भक्तन प्रतिपाला  
चारि भुजा तनु श्याम विराजे 
माथे रतन मुकुट छवि छाजै 

परम विशाल मनोहर भाला 
टेडी दृस्टि भृकुटि विकराला 
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके  
हिये माल मुक्तन मणि दमकै  

कर में गदा त्रिशूल कुठारा 
पल बिच करै अरिहिं संहारा 
पिंगल कृष्णो छाया नंदन 
यम कोणस्त रौद्र दुःख भंजन 

सौरी मंद शनि दश नामा 
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा 
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहिं  
रंकहुं राव करै क्षण माहीं  

पर्वतहू तृण होइ निहारत 
तृणहू को पर्वत करि डारत 
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो 
कैकेइ हूं की मति हरि लीन्हयो  

वनहं मैं मृग कपट दिखाई 
मातु जानकी गई चुराई  
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा 
मचिगा दल में हाहाकारा 

रावण की गति मति बौराई 
रामचंद्र सों बैर बढ़ाई 
दियो कीट करि कंचन लंका 
बजि बजरंग बीर की डंका  

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा  
चित्र मयूर निगलि कै हारा 
हार नौलखा लाग्यो चोरी 
हाथ पैर डरवायो तोरी 

भारी दशा निकृष्ट दिखायो  
तेलहिं घर कोल्हू चलवायो 
विनय राग दीपक महँ कीन्हयों 
तब प्रसन्न प्रभु ह्वे सुख दीन्हयों  

हरिश्चंद्र नृप नारि बिकानी 
आपहुं भरे डोम घर पानी 
तैसे नल पर दशा सिरानी 
भुंजी-मीन कूद गई पानी 

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई  
पारवती को सती कराई 
तनिक विलोकत ही करि रीसा  
नभ उड़ी गतो गौरिसुत सीसा 

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी 
बची द्रौपदी होति उधारी 
कौरव के भी गति मति मारयो 
युद्ध महाभारत करि डारयो 

रवि कहँ मुख महँ धरी तत्काला 
लेकर कूदि परयो पाताला 
शेष देव-लखि विनती लाई 
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई 

वाहन प्रभु के सात सुजाना 
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना  
जम्बुक सिंह आदि नख धारी 
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी 

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवै 
हय ते सुख सम्पति उपजावै 
गर्दभ हानि करै बहु काजा 
सिंह सिद्ध्कर राज समाजा 

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै 
मृग दे कष्ट प्राण संहारै 
जब आवहिं स्वान सवारी 
चोरी आदि होय डर भारी 

तैसहि चारि चरण यह नामा  
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा 
लौह चरण पर जब प्रभु आवे 
धन जन सम्पति नष्ट करावै 

समता ताम्र  रजत सुभकारी 
स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी 
जो यह शनि चरित्र नित गावै 
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै 

अदभुत नाथ दिखावें लीला 
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला 
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई 
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई 

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत 
दीप दान दै बहु सुख पावत 
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा 
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा 
               
                । दोहा । 
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार  । 
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ।।  
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